Sam Sankhya Kise Kahate Hain :- हमने हमेशा सम संख्याओं के बारे में सुना है, कि जो संख्या 2 से विभाजित हो जाती है वे सम संख्याएं होती हैं। परंतु आज भी कई विद्यार्थियों को सम संख्या पहचानने में समस्या आती है।
हालांकि सम संख्या को पहचानने का तरीका काफी आसान है परंतु कुछ बड़ी सम संख्याएं अक्सर विद्यार्थियों को Confuse कर देती हैं।
तो चलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं, कि Sam Sankhya Kise Kahate Hain ? और सम संख्या की पहचान कैसे करें ?
साथ ही हम आपको सम संख्या के कुछ उदाहरण और गुण भी बताएंगे, जिनके माध्यम से आप सम संख्याओं को आसानी से पहचान सकेंगे।
सम संख्या किसे कहते हैं ? ( Sam Sankhya Kise Kahate Hain )
कोई भी संख्या जिसे 2 से पूर्णत: विभाजित किया जा सके, सम संख्याएं कहलाती हैं। कोई भी सम संख्या हमेशा अपने संख्या के अंत में 0, 2, 4, 6, 8, 10 इत्यादि संख्याएं लेकर चलती हैं। जब किसी संख्या को 2 से भाग देने पर शेष में 0 बचता है, तो वह संख्या सम संख्या कहलाती है।
सम संख्या के कुछ उदाहरण 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16 इत्यादि हैं। यह सम संख्या इसलिए कहलाती है, क्योंकि इसका विभाजन जोड़े में किया जा सकता है और अंत में कोई शेष संख्या नहीं बचती।
मान लीजिए, कोई 6 फुटबॉल है और आपको इसे जोड़े में विभाजित करना है, तो आप 2-2 फुटबॉल का जोड़ा बना देंगे। इस तरह उस फुटबॉल के 3 जोड़े बन जाएंगे और अंत में कोई भी फुटबॉल शेष नहीं बचेगा।
सम संख्या कैसे पहचाने ?
यदि आप पता लगाना चाहते हैं, कि दी गई संख्या सम या विषम है, तो आप नीचे दिए गए तरीकों के माध्यम से पता लगा सकते हैं।
1. अंतिम इकाई अंक देखकर
सम संख्या हमेशा 0, 2, 4, 6, 8 पर खत्म होती है, और विषम संख्या 1, 3, 5, 7, 9 पर खत्म होती है।
तो आप इस तरह देख कर पता कर सकते हैं कि यदि किसी संख्या के अंत में 0, 2, 4, 6, 8 है तो वह सम संख्या है।
उदाहरण, 244 में अंतिम संख्या 4 है तो यह सम संख्या का उदाहरण है।
2. 2 से विभाजित करें
यदि दी गई संख्याओं से पूरी पूरी विभाजित हो जाती है तो वह संख्या सम संख्या होती है।
उदाहरण, 688 को 2 से भाग देने पर 0 शेषफल बचेगा। इसलिए 688 सं संख्या का उदाहरण है।
1 से 100 तक की सम संख्या कितनी है ?
1 से 100 तक की सम संख्या में 50 सम संख्याएँ होती है।
List of Even Numbers (1-100) | ||||
2 | 4 | 6 | 8 | 10 |
12 | 14 | 16 | 18 | 20 |
22 | 24 | 26 | 28 | 30 |
32 | 34 | 36 | 38 | 40 |
42 | 44 | 46 | 48 | 50 |
52 | 54 | 56 | 58 | 60 |
62 | 64 | 66 | 68 | 70 |
72 | 74 | 76 | 78 | 80 |
82 | 84 | 86 | 88 | 90 |
92 | 94 | 96 | 98 | 100 |
सम संख्याओं के गुण
सम संख्याओं के तीन मुख्य गुण है, जिसे देखकर आप यह पता लगा सकते हैं, कि दी गई संख्या सम है या विषम।
1. योग का गुण
- जब भी दो सम संख्याओं को आपस में जोड़ा जाता है तो योगफल सम संख्या ही होता है।
उदाहरण, 14 + 6 = 20
- इसके अलावा किसी एक सम संख्या और एक विषम संख्या को आपस में जोड़ने पर उत्तर में विषम संख्या प्राप्त होती है। उदाहरण, 5 + 8 = 13
2. घटाव का गुण
- जब किसी एक सम संख्या को किसी दूसरी सम संख्या से घटाया जाता है तो उसके उत्तर में सम संख्या ही प्राप्त होती है। यानी दो सम संख्याओं का घटाओ का उत्तर सम संख्या ही होता है।
उदाहरण, 16 – 6 = 10
- इसके साथ किसी सम संख्या और किसी एक विषम संख्या को घटाने पर उत्तर में विषम संख्या ही प्राप्त होती है।
उदाहरण, 7 – 4 = 3
3. गुणनफल का गुण
- किसी भी दो सम संख्याओं का गुणनफल सम संख्या ही होता है। यानी कि जब किसी एक सम संख्या को दूसरी सम संख्या के साथ बुरा किया जाता है तो हमें उत्तर में सम संख्या ही प्राप्त होती है।
उदाहरण, 6 * 4 = 24
- अब यदि किसी एक सम संख्या और किसी एक विषम संख्या का गुणा किया जाए तो इसके उत्तर में हमेशा सम संख्या ही प्राप्त होती है।
उदाहरण, 4 * 5 = 20
सम संख्याओं के प्रकार
सम संख्या मुख्यतः 2 प्रकार की होती है।
- क्रमागत सम संख्या
- मिश्रित सम संख्या
1. क्रमागत सम संख्या
क्रमागत सम संख्या उन संख्याओं को कहते हैं, जो एक क्रम में सूचीबद्ध होती हैं। और यह छोटी से बड़ी के क्रम को Follow करती हैं। जैसे- 2, 4, 6, 8, 10, 12 इत्यादि। साथ ही प्रत्येक क्रमागत सम संख्या के बीच में दो संख्या का अंतर होता है।
2. प्राकृत सम संख्या
सम प्राकृत संख्याओं को 6, 624, 8, 100 इत्यादि के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। प्राकृत सम संख्याएं वे संख्याएं होती है, जो 2 से विभाज्य होती हैं, और 1, 2, 3, 4, 5 इत्यादि से शुरू होती है।
यदि हम प्राकृत सम संख्याओं के सूची में से सम संख्या चुन लेते हैं, तो वह सम प्राकृत संख्याएं कहलाती हैं।
सम संख्या का सूत्र
सम संख्याओं के कुछ सूत्र भी होते हैं जिससे की सम संख्याओं का योग औषध इत्यादि ज्ञात किया जा सकता है। कुछ सम संख्या फार्मूला इस प्रकार है –
- प्रथम N सम संख्याओं का योग निकालने का सूत्र = N (n+1)
- क्रमागत तक की सम संख्याओं का योग निकालने का सूत्र = n/2 (n/2 + 1)
- सम संख्याओं के वर्गों का योग निकालने का फार्मूला = अंतिम पद (अंतिम पद +1) (अंतिम पद + 2) /6
सम संख्याओं का औसत निकालने का सूत्र
सम संख्याओं का औसत को निकालने का सूत्र सम संख्याओं के प्रकार पर आधारित है। जैसे – क्रमागत सम संख्याओं का औसत को निकालने का सूत्र और प्रथम n सम संख्याओं का औसत निकालने का सूत्र अलग होगा।
- प्रथम कुछ सम संख्या का औसत = (n+1)
- क्रमागत सम संख्याओं का औसत = (n+2)/2
FAQ’S :
प्रश्न 1 – सम और विषम में क्या अंतर है ?
उत्तर - सम संख्या 2 से पूर्णता विभाजित होती है, परंतु विषम संख्याएं 2 से पूर्णता विभाजित नहीं होती है।
प्रश्न 2 – सबसे छोटी सम संख्या कौन सी है ?
उत्तर - सबसे छोटी सम संख्या जीरो है।
प्रश्न 3 – 0 एक सम संख्या क्यों हैं ?
उत्तर - जीरो एक सम संख्या इसलिए है क्योंकि जीरो को 2 से भाग देने पर शेष में जीरो ही बचाता है।
प्रश्न 4 – दो सम संख्याओं का योग क्या होता है ?
उत्तर - संख्याओं के योग को निकालने का सूत्र हमने इस लेख में बताया है। कृपया लेख को पूरा पढ़ें।
अंतिम विचार
आज के इस लेख में हमने आपको बताया, कि Sam Sankhya Kise Kahate Hain ?
उम्मीद है कि आप सम संख्या उदाहरण सहित समझ पाए होंगे। यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई अन्य सवाल है तो आप हमें कमेंट करें।
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