कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं ? – Koyal Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain

Koyal Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain :- कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं ? वैसे तो कोयल को संस्कृत में कई सारे नाम से जाना जाता है और आज हम आपको इसी की विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं।

यदि आप भी कोयल और इसके संस्कृत शब्दों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो article में अंत तक बने रहे।


कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं ? – Koyal Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain

कोयल का संस्कृत नाम हिंदी भाषा में काफी आम है। चाहे किसी व्यक्ति ने संस्कृत पढ़ी हो या ना पढ़ी हो लेकिन कोयल का संस्कृत नाम अवश्य ही सुना होगा और समझा भी होगा।  कोयल को संस्कृत में कोकिला के नाम से जाना जाता है।

कोकिला नाम तो आप सभी ने अवश्य सुना होगा। कोकिला नाम हिंदू लड़कियों में प्रचलित नाम है। आप कई ऐसी स्त्रियों को जानते होंगे जिनका नाम कोकिला होगा।

इसी प्रकार से आपने अक्सर इस प्रश्न का सामना भी किया होगा– भारत की कोकिला किसे कहा जाता है? तो दोस्तों इसका जवाब है लता मंगेशकर।

जी हां भारत की कोकिला लता मंगेशकर को कहा जाता है। कोकिला को अपनी मीठी और मधुर आवाज के कारण जाना जाता है, और संगीत जगत में लता मंगेशकर को भी उनकी अत्यंत मीठी और मधुर आवाज के लिए जाना जाता है।

यही कारण है, कि लता मंगेशकर को भारत की कोकिला होने की उपाधि प्राप्त है। अब तो आप यह बात अवश्य समझ गए होंगे, कि कोकिला शब्द ना केवल संस्कृत बल्कि हिंदी में भी सुप्रसिद्ध है।


Koyal ka Parichay ( कोयल का परिचय )

कोयल पक्षी की बात करें, तो यह दिखने में काफी कुछ कौवे की तरह होती है। कोयल का रंग और कौवे का रंग कृष्ण होता है जिस कारण यह दोनों समान दिखाई देते हैं।

हालांकि कोयल आकार में कौवे से कुछ मोटी होती है और थोड़ी ज्यादा काली होती है। लेकिन तब भी दोनों में जमीन आसमान का फर्क है और यह फर्क इनकी आवाज से ही स्थापित होता है।

कोयल को जहां इसके मधुर ध्वनि के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर कौवे की आवाज़ को चिड़चिड़ा कर देने वाला शोर माना जाता है। कौवा और कोयल के बीच बड़ी दुश्मनी रहती है।

वसंत ऋतु में कोयल दृष्टिगोचर होती है। कोयल सीधी-सादी तथा भोली भाली चिड़िया मानी जाती है, कौवे से तुलना की जाए, तो यह कौवे की तरह शरारती स्वभाव की नहीं होती।

ऐसा भी माना जाता है, कि कोयल अत्यंत लज्जाशील होती है और इसलिए यह अक्सर पेड़ की पत्तियों की आड़ में छुप कर रहती है। कोयल अपनी मीठी बोली द्वारा सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित कर लेती है।

हिंदी साहित्य में कोयल की बोली को बड़ा महत्व प्राप्त है। कोयल की बोली द्वारा लेखक पाठक के मन में सकारात्मकता और उत्साह जागरूक करता है।

कई लेखको ने कोयल पर अपनी रचनाएं लिखी है। हिंदी साहित्य में लेखक कोयल के माध्यम से मीठी बोली बोलने की शिक्षा देते रहे हैं।

वह इस बात का संदेश भी रहते हैं, कि संसार में गुण की पूजा होती है और रंग रूप की नहीं। कौवा सामान रंग रूप का होने के कारण भी अपनी अभद्र तथा कड़ी बोली की वजह से अप्रिय होता है।


Koyal Shabd Ka Meaning ( कोयल शब्द का अर्थ )

कोयल हिंदी भाषा का एक बहुत ही आम शब्द है। यह हम आम दिनचर्या की भाषा में अक्सर इस्तेमाल करते हैं। यदि हम किसी बच्चे से भी पूछ ले तो उससे कोई पता क्योंकि बचपन से ही हमें क से कोयल सिखाया जाता है।

कोयल का महत्व हिंदी भाषा और हमारे जीवन में इस प्रकार है की कोयल नाम सुनते ही हमारे मन को शीतलता की प्राप्ति होती है। इस शब्द का प्रयोग प्रायः हिंदी भाषा में उत्साह और सकारात्मकता लाने के लिए किया जाता है।

हिंदी भाषा का यह शब्द कोयल दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है को और यह इस शब्द में यल प्रत्यय है। कोयल एक पक्षी का नाम है जिसकी आवाज अत्यंत मधुर होती है।

कोयल की आवाज सुन के सभी का मन प्रफुल्लित हो उठता है। कोयल को अंग्रेजी में cuckoo कहा जाता है।


Koyal Ka Sanskrit Mai Paryavachi Shabd ( संस्कृत में कोयल का पर्यायवाची शब्द )

संस्कृत दुनिया की सबसे श्रेष्ठ भाषाओं में से एक है। संस्कृत भाषा के श्रेष्ठ होने का एक कारण यह भी है, कि इसमें एक शब्द के लिए अनेकों पर्यायवाची शब्द मिल जाते हैं।

दोस्तों, कोकिला शब्द के लिए भी संस्कृत में कई सारे शब्द हैं। आइए हम कोयल के संस्कृत पर्यायवाची शब्दों के बारे में जानते हैं।

कोयल के संस्कृत में 10 प्रसिद्ध नाम

  1. परभृतः
  2. पिकः
  3. कोकिलः
  4. अन्यभृतः
  5. वसंतदूतः
  6. श्यामा ( स्त्रीलिंग )
  7. सारिका ( स्त्रीलिंग )
  8. वनप्रिया ( सभी लिंगों में )
  9. कुहुकारिणी
  10. कुहुकारिन् आदि

वैसे तो संस्कृत में कोकिला शब्द के लिए कई सारे पर्यायवाची शब्द उपलब्ध है। लेकिन यहां पर हमने आपको संस्कृत में प्रसिद्ध शब्दों के बारे में बताया।

कोकिला के महत्व को लेकर संस्कृत में 1 श्लोक काफी प्रसिद्ध है। यह श्लोक बच्चों को कक्षा में भी पढ़ाया जाता है। श्लोक कुछ इस प्रकार है :-

काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः ?

वसन्तसमये प्राप्तः काकः काकः पिकः पिकः

इस श्लोक का अर्थ है, कि कौवे का रंग भी काला होता है और कोयल का रंग भी काला होता है, लेकिन तब भी दोनों में किस बात का अंतर है? वसंत ऋतु आने पर सभी को यह ज्ञात हो ज्ञात होता है की कौवा, कौवा है और कोयल, कोयल।

उपयुक्त श्लोक से आप समझ गए होंगे, कि

काकः = कौवा

पिकः = कोयल, कोकिला

कृष्ण = काला


निष्कर्ष :

तो दोस्तों आज के इस article में हमने आपको बताया, कि कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं ? – Koyal Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain, इसके अलावा हमने आपको कोयल का परिचय तथा इसके पर्यायवाची शब्दों के बारे में भी जानकारी दी।

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