घोड़े को संस्कृत में क्या कहते हैं ? – Ghode Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain

Ghode Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain :- आज के इस लेख के मदद से हम जाने वाले हैं, कि घोड़े को  संस्कृत में क्या कहते हैं।

वैसे तो संस्कृत हमें बचपन से ही सिखाया जाता है । मगर संस्कृत विषय में ज्यादा लोगों का रुचि नहीं रहता है इसलिए लोग इस विषय पर बहुत ही कम ध्यान देते हैं।

मगर कई सारे ऐसे परीक्षाएं होते हैं जिनमें संस्कृत से जुड़ा सवाल पूछ दिया जाता है जो कि लोगों को मालूम ही नहीं रहता है।

अगर आप भी उन व्यक्तियों में से एक हैं, तो आप हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहें, क्योंकि इस लेख में हम उन्हीं सभी टॉपिको पर चर्चा करने वाले हैं।


घोड़े को संस्कृत में क्या कहते हैं ? ( Ghode Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain )

घोड़े को संस्कृत  में अश्व:, घोटक: , तुरग: , हय: कहते हैं। घोड़े को लोग अलग अलग भाषाओं में अलग अलग नाम से बुलाते है।

घोड़े को अन्य भी कई नामों से जाना जाता है, जो निम्न प्रकार से है:-

  • घोड़े को इंग्लिश में horse कहा जाता है।
  • घोड़े का वैज्ञानिक नाम equus caballus है।
  • घोड़े के बारे में रोचक तथ्य

घोड़ापरिचय

घोड़ा एक ऐसा जानवर है, जिसका इतिहास में भी किसी न किसी रूप में वर्णन मिल ही जाता है। हजारों वर्षों से मनुष्य के साथ घोड़े का गहरा संबंध रहा है।

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक अपनी स्वामी भक्ति और वीरता के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है।

पुराने समय में बात युद्ध की हो या फिर आज के समय में घरेलू कामों की, घोड़ा हमेशा से ही बहुत उपयोगी जानवर रहा है। बहुत सारे लोग घोड़ा पालने के शौकीन होते हैं। घोड़ा महंगे जानवरों में से एक है।

घोड़े की बनावट

घोड़े की बनावट से तो लगभग सभी लोग वाकिफ होते हैं। घोड़ा चार पैरों वाला जानवर होता है, जिसके दो आंखें, एक पुंछ और दो कान होते हैं।

इसके कान हमेशा सीधे ऊपर की तरफ खड़े होते हैं। घोड़े की आंखें पैनी और चमकदार होती है।

इसकी लंबी गर्दन हमेशा लंबे और चिकने बालों से ढकी रहती है, जिसे आयाल कहा जाता है। घोड़े की लंबाई लगभग पांच से साढ़े पाँच हाथ तथा ऊंचाई लगभग चार से साढ़े चार हाथ होती है।

इसका शरीर बहुत सुंदर और बहुत मजबूत गठीला होता है। घोड़े की टांगे मजबूत और लंबी होती है। इसके खूर फटे नहीं होते। घोड़े के सींग नहीं होते है। घोड़े काले, मटमैला, चितकबरी, लाल आदि जैसे के रंगों में पाए जाते हैं।

घोड़े का स्वभाव

हर किसी प्राणी का अपना एक अलग स्वभाव होता है। घोडा शांत और धैर्यशील स्वभाव का स्वामी होता है। घोड़ा शक्तिशाली और साहसी जानवरों में से एक है।

घोड़ों में सुनने, सुघने और देखने की अद्भुत शक्ति होती है। हल्की सी आहट होने पर भी घोड़ा चौकन्ना हो जाता है।

घोड़ा अपने स्वामी को बहुत मानता है यदि उसका स्वामी असजग अवस्था में है तो वह हिनहिना कर उसे सचेत कर देता है। घोड़ा एक समझदार जानवर है। कई बार कुछ घोड़े काटते और लात भी मारते हैं। घोड़ों की हैरान करने देने वाली बात यह है कि यह खड़े-खड़े सो लेते हैं।


घोड़ों के लिए प्रसिद्ध स्थान

वैसे तो घोड़े सभी देशों में पाए जाते हैं, परंतु यह अफ्रीका और एशिया में बहुतायत में पाए जाते हैं। अरबी घोडे प्रसिद्ध होते हैं। अरब के देशों के घोड़े सबसे अच्छी नस्ल के कहलाते हैं।

अरबी घोड़े ऊँचे, सुंदर, मजबूत और हवा के जैसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाले होते हैं। अरबी घोड़ों के बाद स्पेन, वर्मा, तुर्की, ईरान और ऑस्ट्रेलिया के घोड़े भी प्रसिद्ध घोड़ों में आते हैं।


घोड़ों की मनुष्य के लिए महत्वता

ऐतिहासिक काल से ही घोड़े मनुष्य के लिए अहम महत्व रखते हैं। भारत तथा विदेशों में कई ऐसे घोड़े हैं जिनका उल्लेख इतिहास में पाया जाता है, जो अपने साहस, वीरता और स्वामी भक्ति के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, सिकंदर, महाराणा प्रताप, नेपोलियन आदि के घोड़े अपने स्वामी भक्ति और वीरता के लिए उल्लेखनीय है।

आज के युग में भले ही मशीनरी ने अपना एक खास स्थान बना लिया हो, परंतु घोड़े आज भी अपने स्वामी भक्ति और समझदारी के कारण महत्वपूर्ण है।

घुड़दौड़ हमेशा से ही एक मनोरंजन का साधन रहा है। पोलो एक ऐसा खेल है जिसे घोड़ों की पीठ पर बैठकर खेला जाता है। रेस की दौड़ या फिर सर्कस के खेल, इन सभी में घोड़े अपना शानदार प्रदर्शन दिखाते हैं।

इसके अलावा अमीर और सामंत लोग घुड़सवारी को अपनी प्रतिष्ठा वह मान की बात मानते हैं।


घोड़ा खरीदने से पहले ध्यान देने योग्य बातें

हर किसी का अपना कोई ना कोई शौक जरूर होता है। कई लोगों को खरगोश पालना पसंद है, कुछ लोग कुत्ता पालना पसंद करते है या तो कुछ कोई अन्य जानवर पालते है।

बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें घुड़सवारी का शौक है और वह खुद का घोड़ा रखना पसंद करता है। अपना शौक पूरा करने के लिए लोग घोड़ा खरीद तो लेते हैं परंतु उनको संभालने में असमर्थ होते हैं।

इसीलिए कुछ बाते हैं, जिन पर घोड़ा खरीदने से पहले आपको ध्यान देना चाहिए :-

  • घोड़ा बढ़ा और शक्तिशाली होना चाहिए जिससे की वह घुड़सवार को आराम से ले जा सके, परंतु इतना अधिक भी बड़ा और शक्तिशाली नहीं होना चाहिए कि कोई भी घुड़सवार उसे संभाल न सके।
  • घोड़े का चुनाव हमेशा अपने स्थानीय परिस्थिति के अनुसार करना चाहिए।
  • घोड़े के खुर साफ और गोल होने चाहिए। यदि वह उबड़ खाबड़, बेड़ोल, टूटे हुए या फटे हुए हैं तो ऐसे घोड़े को ना खरीदे।
  • यदि किसी घोड़े को एक बार भी खांसी हो तो उसे ना खरीदें।
  • घोड़े की पीठ और मुख्य हिस्सा मोटा नहीं होना चाहिए अन्यथा घुड़सवारी करते समय बगल में फिसलने की संभावना बढ़ जाती है।
  • घोड़े का सिर अधिक लंबा नहीं होना चाहिए अन्यथा घुड़सवारी करते वक्त सर को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।

FAQ,s

1. घोड़े को अंग्रेजी में क्या कहते हैं ?

Ans. घोड़े को अंग्रेजी में " Horse " कहते हैं।

2. अश्व meaning in Sanskrit

Ans. अश्व का मतलब संस्कृत भाषा मे घोड़ा होता है।

3. भारत देश में घोड़ा किसका प्रतीक है ?

Ans. हिंदू संस्कृति में घोड़ा वफादारी, सम्मान और शक्ति का प्रतीक है।

[ Conclusion, निष्कर्ष ]

दोस्तों उम्मीद करता हूं, कि आपको मेरा यह लेख बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से Ghode Ko Sanskrit Mein Kya Kahate Hain के बारे में चुके होंगे और यह भी जान चुके होंगे, कि घोड़े की स्वभाव कैसा होता हैं।

अगर आपके मन में इस लेख से जुड़ी कोई भी सवाल है या आपको कुछ समझ नही आया है, तो आप हमारे दिए गए comment box में मैसेज करके पूछ सकते हैं हमारी समूह आपके पूछे गए सवालों का जवाब अवश्य देगी।


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